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लेटर ऑफ क्रेडिट

गेहूं के फर्जी निर्यात की जांच कर सकती है सीबीआई

गेहूं के फर्जी निर्यात की जांच कर सकती है सीबीआई

गेहूं के फर्जी निर्यात की जांच कर सकती है सीबीआई : अब गेहूं निर्यात से पहले कागजों का होगा भौतिक सत्यापन

नई दिल्ली। गेहूं के निर्यात में हो रही धांधली पर
विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी) (Directorate General of Foreign Trade (DGFT)) ने बड़ा फैसला लिया है। क्षेत्रीय अधिकारियों को कहा है कि गेहूं निर्यात के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र (आरसी) जारी करने से पहले उसके कागजातों का भौतिक सत्यापन होगा। वाणिज्य मंत्रालय के आदेश पर इसकी शुरुआत हो रही है। अब देश बाहर गेहूं भेजने वालों को 13 मई या उससे पहले के लेटर ऑफ क्रेडिट (एलओसी) के साथ विदेशी बैंक के साथ हुई बातचीत की तारीख भी बतानी होगी। किसी तरह की गड़बड़ी पाई गई तो सीबीआई जांच कराई जाएगी। डीजीएफटी ने कहा कि सरकार ने 13 मई को गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन उसके पहले जिन निर्यातकों ने एलओसी हांसिल किया है। वे गेहूं का निर्यात कर पाएंगे।

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जरूरत होने पर पेशेवर एजेंसी से ली जाएगी मदद

- डीजीएफटी ने कहा है कि निर्यातकों को मंजूरी मिली हो, या मंजूरी प्रक्रिया में चल रहे हों। दोनों की स्थितियों में निर्यातकों के कागजातों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा। और जरूरत हुई तो पेशेवर एजेंसी की मदद ली जाएगी। मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से भी कराई जाएगी। और इसमें बैंकर गलत पाए गए तो उन पर कार्यवाई की जाएगी।

चावल निर्यात पर नहीं होगी पाबंदी : सरकार

- बढ़ती महंगाई के चलते आशंका जताई जा रही थी कि गेहूं के बाद चावल निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चावल के निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं होगी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में चावल गोदामों में और निजी व्यापारियों के पास चावल का पर्याप्त भंडार है। घरेलू स्तर पर चावल के दाम भी नियंत्रण में हैं। इसलिए चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाने की कोई योजना नहीं है। गेहूं और चीनी के निर्यात पर सख्ती के बीच कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार चावल निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा सकती है। लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं होगा।

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चावल कारोबारियों ने रोके सौदे

- गेहूं व चीनी के निर्यात पर सख्ती देख चावल कारोबारियों ने भी विदेश से होने वाले सौदे रोक दिए हैं। आंशका जताई जा रही थी कि गेहूं व चीनी के बाद चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लग सकता है। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चावल निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं लगेगी। सरकार के इस निर्णय के बाद चावल कारोबारियों ने राहत की सांस ली है। ------ लोकेन्द्र नरवार
सरकार ने इन व्यापारियों को दी गेंहू निर्यात करने की अनुमति

सरकार ने इन व्यापारियों को दी गेंहू निर्यात करने की अनुमति

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच जारी जंग से ग्लोबल मार्केट में गेंहू की सप्लाई प्रभावित

नई दिल्ली। इस साल गेंहू की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते भारत ने गत 14 मई को
गेंहू निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। उधर रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल मार्केट में गेंहू की सप्लाई को बुरी तरह प्रभावित किया है। करीब 2 माह बाद भारत सरकार गेंहू निर्यात को मंजूरी देने जा रही है। लेकिन इसके लिए कुछ नए नियम बनाए गए हैं। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने करीब 16 लाख टन गेंहू के निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को जारी कर दिया गया है। ये सर्टिफिकेट सिर्फ उन व्यापारियों को ही दिया जाएगा, जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट होगा।

13 मई से पहले जारी हो चुके हैं लेटर ऑफ क्रेडिट

- सरकार गेंहू की उस खेप के निर्यात के लिए अनुमति देने जा रही है, जिनके लिए लेटर ऑफ क्रेडिट 13 मई या उससे पहले जारी किया गया था।

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रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी अनाज की कीमतों पर काबू पाने के लिए गेंहू की सप्लाई को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। दोनों देश मिलकर वैश्विक गेंहू आपूर्ति का लगभग एक चौथाई हिस्सा पूरा करते हैं।

16 लाख टन गेंहू को मिली है मंजूरी

- वैध लेटर ऑफ क्रेडिट वाले निर्यातकों को अपनी खेप भेजने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा। इसके बाद उन्हें गेंहू के एक्सपोर्ट के लिए मंजूरी दे दी जाएगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय के क्षेत्रीय अधिकारी निर्यातकों को आरसी भी जारी करेंगे। अब तक 16 लाख टन गेंहू के निर्यात के लिए आरसी जारी कर दी गई है। रूस ने तुर्की के माध्यम से गेंहू का निर्यात शुरू कर दिया है। वैश्विक बाजार में अब गेंहू की कीमतें स्थिर हो सकती हैं।

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भारत में 14 फीसदी गेहूं का उत्पादन

- भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत ने 2020 में दुनिया के कुल उत्पादन में लगभग 14 फीसदी योगदान किया था। भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन होता है। लेकिन इसका एक बड़ा भाग घरेलू खपत में जाता है। भारत में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।

पिछले साल 70 लाख टन गेंहू का हुआ था निर्यात

- अन्य देशों की तुलना में भारतीय गेहूं की बेहतर मांग होने के कारण 2021-22 में भारत ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ था। इसकी कीमत करीब 2.05 बिलियन अमरीकी डॉलर के आस-पास थी। पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50% शिपमेंट बांग्लादेश को भेजा जा चुका था। 2020-21 में भारतीय गेहूं का सबसे अधिक आयात करने वाले देश बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, नेपाल, यमन और अफगानिस्तान आदि देश शामिल रहे थे। ------ लोकेन्द्र नरवार